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IIT Abhay Singh : कैसे अभय सिंह ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग छोड़ संन्यास का रास्ता अपनाया?

IIT Abhay Singh अभय सिंह, Abhay Singh  जिनका असली नाम भी यही है, हरियाणा के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं।

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुंभ हर साल दुनिया भर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस धार्मिक महोत्सव में न केवल साधु-संतों का जमावड़ा होता है, बल्कि समाज के हर वर्ग के लोग यहां अपनी आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। इस बार महाकुंभ में एक खास शख्सियत ने सभी का ध्यान खींचा है, जिनके बारे में चर्चा हो रही है – IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग करने वाले अभय सिंह, जिन्हें अब लोग “इंजीनियर बाबा” के नाम से जानने लगे हैं।

IITian से संन्यासी बनने की कहानी IIT Abhay Singh

अभय सिंह, Abhay Singh  जिनका असली नाम भी यही है, हरियाणा के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। वह पहले IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक कर चुके थे और एक बेहतरीन करियर की शुरुआत के लिए तैयार थे। उनके पास लाखों का पैकेज भी था, लेकिन उन्होंने अपने जीवन की दिशा पूरी तरह से बदल दी।

एक सफल करियर को छोड़ने का निर्णय

अभय सिंह ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद कुछ समय तक काम किया, लेकिन कुछ दिन बाद ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी। उनके मुताबिक, इंजीनियरिंग की दुनिया में उनका मन नहीं लग रहा था, और उन्होंने फोटोग्राफी में अपनी रुचि को पहचानते हुए ट्रैवल फोटोग्राफी के क्षेत्र में कदम रखा। यही वह समय था जब उनके जीवन में बड़ा मोड़ आया। उन्होंने ध्यान, योग और आध्यात्म के बारे में गहराई से सोचना शुरू किया।

दर्शनशास्त्र और आध्यात्मिकता की ओर रुझान

इंजीनियर बाबा बताते हैं कि, “इंजीनियरिंग करते हुए मैं दर्शनशास्त्र से जुड़ने लगा था। मैंने कई प्रसिद्ध दार्शनिकों के लेख पढ़े, जिनमें सुकरात, प्लेटो और नवउत्तरावाद शामिल थे। ये किताबें मेरे जीवन का हिस्सा बन गईं।” उनके लिए यह आध्यात्मिक यात्रा का पहला कदम था। इस दौरान उन्होंने कई धार्मिक शहरों का दौरा किया और अंततः अपने जीवन को भगवान शिव के प्रति समर्पित कर दिया।

महाकुंभ में पहुंचकर शांति की तलाश

महाकुंभ में आने के बाद अभय सिंह का कहना है, “यहां आकर मन को शांति मिल रही है। संगम में डुबकी लगाकर मुझे सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हो रही है।” महाकुंभ में रहते हुए उन्होंने कई बार अपनी यात्रा और आध्यात्मिक अनुभवों को साझा किया है। उनका मानना है कि जो व्यक्ति जीवन के उद्देश्य को समझने की कोशिश करता है, वह इस यात्रा पर जरूर पहुंचता है।

एक इंजीनियर बाबा का जीवन: अब क्या है उनका दृष्टिकोण?

अभय सिंह अब एक संन्यासी बन चुके हैं और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी भगवान शिव को समर्पित कर दी है। उनके अनुसार, “सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है।” उनका जीवन अब ध्यान और योग में बसा हुआ है। उनका कहना है कि वे विज्ञान के माध्यम से आध्यात्म को समझने की कोशिश कर रहे हैं और इसके गहरे रहस्यों में जा रहे हैं।

सोशल मीडिया पर भी सक्रिय

अभय बाबा का इंस्टाग्राम पेज भी खासा लोकप्रिय है, जहां वह ध्यान, योग और सूत्र से संबंधित पोस्ट साझा करते रहते हैं। उनके इंस्टाग्राम पर 4342 फॉलोअर्स हैं और वह 38 लोगों को फॉलो करते हैं। यहां तक कि उन्होंने अपनी एक किताब का लिंक भी अपने पेज पर शेयर किया है, जो उनके जीवन के अनुभवों और आध्यात्मिकता पर आधारित है।

महाकुंभ में इंग्लिश बोलते हुए

एक और दिलचस्प बात यह है कि महाकुंभ में अभय सिंह का इंग्लिश बोलने का अंदाज काफी खास है। वह पत्रकारों के सवालों का जवाब बड़े आत्मविश्वास से देते हैं और अपनी बातें बहुत ही सहज तरीके से समझाते हैं। उनका आत्मविश्वास और अधिकार उनकी बातों में स्पष्ट दिखाई देता है।

कैसे बदलते हैं जीवन के मोड़?

अभय सिंह की कहानी यह बताती है कि जीवन में कई बार आपको अपने रास्ते को बदलने का साहस जुटाना पड़ता है। IITian से लेकर संन्यासी बनने का सफर आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने अंदर की आवाज़ को सुना और वही रास्ता अपनाया जो उनके दिल को सुकून दे।

धार्मिकता और आध्यात्मिकता का मिलाजुला स्वरूप

अभय बाबा का जीवन एक प्रेरणा है, खासकर उन लोगों के लिए जो अपने जीवन में सचाई और आध्यात्मिकता की खोज कर रहे हैं। उनके अनुसार, आध्यात्मिकता कोई धार्मिक दायित्व नहीं है, बल्कि यह एक जीवन जीने का तरीका है, जो हर किसी के अंदर गहराई से जुड़ा हुआ है।

अभय सिंह की यात्रा हमें यह सिखाती है कि जीवन के किसी भी मोड़ पर, अगर आप अपने दिल की सुनें और सही दिशा में कदम बढ़ाएं, तो सच्चा सुख और शांति हासिल कर सकते हैं। महाकुंभ जैसे धार्मिक उत्सव में शामिल होकर उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और भी आगे बढ़ाया है और आज वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।

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